Sunday, April 6, 2025
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Akshaya Navami 2024: आखिर क्यों मनाई जाती है अक्षय नवमी? यह जाने सब कुश इसके बारे में

Akshaya Navami 2024: आखिर क्यों मनाई जाती है अक्षय नवमी? यह जाने सब कुश इसके बारे में

Akshaya Navami 2024:प्रत्येक उत्सव भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है, भारतवर्ष में वैशाली के राजा महोविर ने पहली बार अप्रत्याशित एवं अनदीन ऊर्जा को देखकर उसका उपकार किया था। इसके बारे में कोई सूर्य क्यूरियोसिटी नहीं है। इस दिन शिवजी की भक्ति से सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। आइए जानते हैं अक्षय नवमी का महत्व और इसके साथ – साथ संबंधित चीज़ें – पूजन विधि और इस दिन के व्रत और अद्भुत सामग्री के बारे में।

Akshaya Navami 2024
Akshaya Navami 2024

अक्षय नवमी का महत्व

अक्षय नवमी का महत्व हमारे शास्त्रों में बहुत सुंदर ढंग से बताया गया है। यह पर्व हमारे सम्पूर्ण भारतवर्ष में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पूर्ण माना है। इसे अमला नवमी और धात्री नवमी भी कहा जाता है। इस दिन अमृत की तरह अक्षय फल प्राप्त होते हैं। इस दिन सकल मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस दिन की महिमा को और बढ़ाने के लिए हमें कुछ कथायें भी सुनने को मिलती हैं।

पूजा विधि Akshaya Navami 2024

  • स्नान और संकल्प:
    प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर किसी पवित्र स्थान पर बैठकर व्रत और पूजा का संकल्प लें।
  • अमला वृक्ष का पूजन:
    अक्षय नवमी पर अमला वृक्ष की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इसके लिए वृक्ष के पास दीपक जलाएं और जल चढ़ाएं।
  • भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा:
    विष्णु और लक्ष्मी माता की प्रतिमा स्थापित कर, दीपक जलाएं और पुष्प, अक्षत, चंदन आदि अर्पित करें। इसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
  • दान का महत्व:
    इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना, वस्त्र, अन्न, और धन का दान करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान अक्षय पुण्य का स्रोत बनता है।
  • अन्नकूट महोत्सव:
    कुछ स्थानों पर अक्षय नवमी को अन्नकूट महोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें देवी-देवताओं को विभिन्न प्रकार के अन्न का भोग लगाया जाता है।
Akshaya Navami 2024
Akshaya Navami 2024

इसके अतिरिक्त हमें इस दिन दान भी करना चाहिए। दानों का वर्णन भूदेवी जी और स्वर्गलोक में रहने वाले देवेन्द्र जी करके साथ गया और यजना आदि पूरी करके घर लौटकर उसने सी शिकीतौर्या को सुनाया कि तुम्हें आज की पूजा एवं दान से अक्षय फल मिलेगा।

इसे शी पुण्य मिलेगा। ग्राह्यान ने सकलकंदन माध्ये अपने मंत्रियों को साथ गज्ञां के लिए भुगतान एक कीतचनां की मदद। ऐसा करने पचाेई ग्राह्मकरयाण जानकारेन का रखना चाहिए। मानुष्य को किसी के लिए दान करते समय धैर्य और कोमितिल्ब शुद्धि की अनियाति होनी चाहिए।

तो दोस्तों जैसा कि आप जाना कि अक्षय नवमी का उत्सव धार्मिक इश्वर और भावनावान होता है। ये न केवल हमारे धार्मिक आध्यात्मिक दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण होता है बल्कि इसके अधीन संबंधित अनुष्ठान भी हमारे जीवन को पावित्र मनुष्यता हासिल कर प्रदान करते हैं। अगर आप भी अक्षय नवमी का उपवास रखते हैं तो इस दिन को धार्मिक इस्त्रि से पूजेत देवी विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करें। इस उत्सव की महिमा हमें ये मानकर केर पूजा और दान का फल अक्षय होता है।

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